किसानों की दोगुनी आय हेतु गन्ना प्रजनन, उत्पादन और उपयोग के हालिया वैज्ञानिक हस्तक्षेपों एवं पद्धतियों पर आभासी उन्नत राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम – 2020 का हुआ आयोजन
1 दिसंबर, 2020, कोयंबटूर
भाकृअनुप-गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर ने राष्ट्रीय कृषि विकास सहकारी लिमिटेड (एनएडीसीएल), बारामुला, जम्मू-कश्मीर के सहयोग से 1 से 21 दिसंबर, 2020 तक 21 दिवसीय ‘किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गन्ना प्रजनन, उत्पादन और उपयोग के हालिया वैज्ञानिक हस्तक्षेपों एवं पद्धतियों पर आभासी उन्नत राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम – 2020’ का आयोजन किया है।
डॉ. तिलक राज शर्मा, उप महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप ने अपने उद्घाटन संबोधन में देश में गन्ने के 78% से अधिक क्षेत्र में उगने वाली अपनी 'सह' किस्मों के लिए संस्थान के योगदान की सराहना की। उन्होंने कीटों और रोगों के लिए गन्ने की आनुवंशिक भेद्यता को रोकने व स्वस्थ रोपण सामग्री के उत्पादन के लिए आनुवंशिक आधार और सूक्ष्म प्रसार को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. बख्शी राम, निदेशक, भाकृअनुप-एसबीआई, कोयम्बटूर ने अपने संबोधन में 108 वर्षों के प्रजनन के दौरान संस्थान द्वारा 3,200 'सह केन्स' विकसित करने में किए गए विभिन्न योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश में चीनी और इथेनॉल की मांग को पूरा करने के लिए मशीनीकरण को अपनाने के साथ-साथ उन्नत किस्मों के सतत विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया।
प्रो. एम. पी. ठाकुर, निदेशक और परीक्षा नियंत्रक, इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर ने विभिन्न योगदानों, खासकर किसानों और मिलर्स को लाभ पहुँचाने वाले सह 0238 के लिए के लिए संस्थान की सराहना की। उन्होंने ड्रिप इरिगेशन (बूँद-बूँद व सूक्ष्म सिंचाई) के जरिए गन्ने की कृषि में पानी की बचत पर जोर दिया।
डॉ. रत्ना नाशीन, डीन, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन नारायणपुर, (आईजीकेवी, रायपुर), छत्तीसगढ़ ने इससे पहले अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 18 राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि विश्वविद्यालयों, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों और अन्य संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 141 प्रतिभागी आभासी तौर पर भाग ले रहे हैं।
(स्रोत: भाकृअनुप-गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयंबटूर)