भाकृअनुप संस्थानों ने मनाया विश्व मत्स्य दिवस-2021
21 नवंबर, 2021
“विश्व मत्स्य दिवस” का आयोजन मत्स्य स्टॉक और मत्स्य पालन, आजीविका की स्थिरता के महत्व को चिन्हित करने के लिए हर साल 21 नवंबर, 2021 को दुनिया भर में किया जाता है। भारत के भाकृअनुप संस्थानों ने इस दिन को पूर्ण उत्साह के साथ मनाया।
भाकृअनुप-केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई, महाराष्ट्र
मुख्य अतिथि, डॉ. के. रिजी जॉन, उपकुलपति, मत्स्य पालन एवं महासागर अध्ययन विश्वविद्यालय, केरल (केयूएफओएस), ने "टिकाऊ मत्स्य पालन विकास के लिए तीन ईएस (आर्थिक, पर्यावरण और समान हिस्सा)" पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने मत्स्य पालन के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने के साथ-साथ दुनिया भर में अधिक से अधिक लोगों को आजीविका, आय, विदेशी मुद्रा, स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है।
डॉ. एन. पी. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफई, मुंबई ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए इन मुद्दों पर प्रकाश डाला और कहा कि अस्पष्टीकृत को स्पष्ट करना, जलवायु परिवर्तन, आजीविका, मानवजनित प्रदूषण, पर्यावरण, समान हिस्से एवं सरकारी मत्स्य क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा किया।
कार्यक्रम में कुल 203 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
भाकृअनुप-केंद्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा
विश्व मत्स्य दिवस-2021 के उत्सव को चिह्नित करने और छोटी देशी मछलियों के संरक्षण के महत्व को उजागर करने के लिए संस्थान ने "गोवा की छोटी स्वदेशी मछलियों के संरक्षण और प्रबंधन" पर मंगुशी मंदिर, मार्डोल, गोवा में एक जागरुकता अभियान का आयोजन किया।
डॉ. परवीन कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा ने अपने संबोधन में संस्थान की अनुसंधान गतिविधियों के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि इनका उद्देश्य मछली उत्पादक किसानों और मछुआरों के लिए स्थायी आजीविका को बढ़ाना है।
श्री एच.आर.सी. प्रभु, प्रमुख, केवीके, उत्तरी गोवा ने संक्षिप्त रुप में कहा कि यह पहल राज्य के विभिन्न हिस्सों और आसपास के तटीय क्षेत्र में मछली के संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहित करेगी।
7 स्वदेशी मछली प्रजातियों के कुल 500 इकाई को मंदिर के तालाब में छोड़ा गया जिसे इस अवसर पर “स्व-स्थानिक” संरक्षण की एक विधि के रूप में माना जा रहा है।
(स्रोत: संबंधित भाकृअनुप संस्थान)