3 सितंबर, 2024, नई दिल्ली
केन्द्रीय बजट 2024-25 में सभी के लिए पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए नौ प्राथमिकताओं पर निरंतर प्रयास की परिकल्पना की गई है। प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक 'कृषि में उत्पादकता और लचीलापन' है, जिसका मुख्य क्षेत्र एवं विषय 'कृषि अनुसंधान में बदलाव' है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) सहित अन्य संबंधित विभागों/ मंत्रालयों के सहयोग से आयोजित हितधारक परामर्श बैठक का आज कृषि भवन, नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में उद्घाटन किया गया। इस बैठक का विषय था ‘कृषि अनुसंधान में बदलाव, निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाना’। इस चर्चा में (क) कृषि में उत्पादकता और लचीलापन बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान व्यवस्था की समीक्षा, तथा (ख) कृषि अनुसंधान परिणामों को बढ़ाने के लिए चुनौती मोड में वित्तपोषण सहित सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) जैसे विषय शामिल थे।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि, श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आधारित है, तथा उत्पादकता बढ़ाने और किसान कल्याण सुनिश्चित करने के लिए किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्होंने जमीनी स्तर पर, सुचारू रूप से, काम करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) को और मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कृषि क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से मंत्री ने किसानों को बीज और कृषि उपकरण वितरित करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने इस बात पर जोर दिया कि निजी क्षेत्र के निरंतर योगदान से अनुसंधान एवं विकास को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों में भाकृअनुप ने भाकृअनुप प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए निजी क्षेत्रों के साथ 1,000 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। डॉ. पाठक ने प्रभावी और उत्पादक कृषि पद्धतियों के लिए कृषि नीतियों के पुनर्उद्देश्यीकरण, पुनर्गठन और पुनर्अभिविन्यास का आग्रह किया।
डॉ. एस. अय्यप्पन, पूर्व सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप); डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, अध्यक्ष, पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण एवं पूर्व सचिव, (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप); डॉ. अशोक दलवई, सीईओ, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा प्रो. सुधीर के. सोपोरी, पूर्व कुलपति, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं एमेरिटस वरिष्ठ वैज्ञानिक, अंतर्राष्ट्रीय आनुवंशिक इंजीनियरिंग एवं जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र, नई दिल्ली चर्चा के पैनलिस्ट रहे।
चर्चा 2 के पैनलिस्टों में शामिल थे- डॉ. प्रवीण राव, पूर्व कुलपति, पीजेटीएसएयू, हैदराबाद; वर्तमान में कावेरी सीड्स, टीएएफई और नेटाफिम के कृषि सलाहकार; डॉ. अरबिंद कुमार पाधी, प्रधान सचिव, ओडिशा सरकार; डॉ. राम कौंडिन्य, महानिदेशक, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया; श्री प्रभाकर राव, अध्यक्ष, नेशनल सीड एसोसिएशन ऑफ इंडिया, हैदराबाद और श्री कंवल सिंह चौहान, पद्मश्री प्रगतिशील किसान, हरियाणा।
देश भर के 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें भाकृअनुप संस्थान, तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालय, केवीके, निजी क्षेत्र के संगठन, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय/ विभाग, राज्य कृषि विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), प्रगतिशील किसान एवं अन्य हितधारक शामिल रहे।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय, नई दिल्ली)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
टिवीटर पर फॉलो करना
इंस्टाग्राम पर लाइक करें