लक्षद्वीप में भाकृअनुप-सीएमएफआरआई द्वारा समुद्री शैवाल खेती उद्यम काफी सफलता हासिल कर रहा है
लक्षद्वीप में भाकृअनुप-सीएमएफआरआई द्वारा समुद्री शैवाल खेती उद्यम काफी सफलता हासिल कर रहा है

लक्षद्वीप की अर्थव्यवस्था के एक अन्य चालक के रूप में समुद्री शैवाल उद्यम के विकास तथा भारत सरकार के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए, भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई), कोचीन द्वारा निर्देशित वाणिज्यिक पैमाने पर पायलट समुद्री शैवाल की खेती पूर्व-व्यवहार्य अध्ययन के आधार वर्ष 2022-23 सीज़न के दौरान बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भाकृअनुप-सीएमएफआरआई और लक्षद्वीप प्रशासन की सहायता एवं टीएससी-पर्पल टर्टल कंपनी, तूतीकोरिन के प्रयास द्वारा द्वीप समूह की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने तथा स्थानीय समुदाय, विशेषकर महिलाओं के लिए आय का एक नया स्रोत प्रदान करने की क्षमता रखता है।

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समुद्री शैवाल खेती उद्यम शुरू में लगभग 2500 की आबादी वाले लक्षद्वीप के छोटे द्वीपों में से एक, चेटलथ में शुरू किया गया था। सितंबर 2022 के अंत तक 100 ट्यूब नेट के छह प्लॉट स्थापित किए गए, जिनमें प्रति प्लॉट 3 टन बीज भंडार का आकार था। पहली फसल से 45 दिनों में लगभग 15 टन उपज हुई। पूरी फ़सल के उपयोग के लिए खेत को क्षैतिज रूप से विस्तारित किया गया, जिससे नवंबर 2022 के अंत तक खेत का आकार 3000 नेट ट्यूबों के साथ 30 भूखंडों तक बढ़ गया। बाद की कटाई हर 30-45 दिनों में की गई, और खेत को उसी एटोल में और विस्तारित किया गया साथ ही किल्टान और कदमत के पड़ोसी एटोल में भी इसका विस्तार किया गया।

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इसमें महिलाएँ मुख्य कार्यबल थीं, और उनमें से विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की लगभग 20 महिलाओं को ट्यूब नेट तैयार करना, बीज बोना और कटाई जैसी विभिन्न कृषि गतिविधियों को पूरा करने के लिए नियोजित किया गया था। कार्यक्रम ने 8 महीने की खेती अवधि के दौरान लगभग 3000 मानव-दिवस उत्पन्न किए, जिसमें औसत दैनिक कमाई 380 रुपये थी।

महिलाओं की सक्रिय भागीदारी माननीय राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित किया

समुद्री शैवाल की खेती के प्रति महिलाओं की जबरदस्त प्रतिक्रिया ने हाल ही में अप्रैल 2023 में द्वीपसमूह की अपनी पहली यात्रा के दौरान भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू का ध्यान आकर्षित किया। समुद्री शैवाल उद्यम विकास कार्यक्रम की महिला लाभार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल को 19 अप्रैल, 2023 को कावारत्ती में उनके साथ बैठक के लिए आमंत्रित किया गया था।

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लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल की खेती की क्षमता को भाकृअनुप, नई दिल्ली के नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर (एनआईसीआरए) के तत्वावधान में अगस्त 2020 से भाकृअनुप-सीएमएफआरआई के अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों से जाना गया है। उद्यम वर्तमान में अन्वेषण, क्षमता निर्माण और नींव विकास के प्रारंभिक चरण से गुजर रहा है। भाकृअनुप-सीएमएफआरआई ने मत्स्य पालन विभाग, लक्षद्वीप और निजी कंपनियों के सहयोग से प्रत्येक द्वीप में सीज़न के दौरान व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण, ग्रेसिलेरिया एडुलिस और एकेंथोफोरा स्पाइसीफेरा जैसी स्वदेशी प्रजातियों के विकास एवं प्रदर्शन को निर्धारित करने के लिए कृषि परीक्षण किए। इस अवधि के दौरान, कई द्वीपों के स्थानीय पुरुषों और महिलाओं को बड़ी संख्या में समुद्री शैवाल की खेती को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया गया। संभावित हितधारकों, स्थानीय किसानों, समुद्री शैवाल उद्योग, शोधकर्ताओं और सरकार के साथ समय-समय पर परामर्श आयोजित किए गए, जहां परिणाम और अनुभव साझा कर आगे के रास्ते पर चर्चा की गई। इसके परिणामस्वरूप मेसर्स टीएससी-पर्पल टर्टल कंपनी, तूतीकोरिन ने द्वीप क्षेत्र में पहली बार व्यावसायिक स्तर पर पायलट खेती शुरू की।

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भाकृअनुप-सीएमएफआरआई द्वीपों में समुद्री शैवाल उद्यम विकसित करने के लिए दो-आयामी दृष्टिकोण का सुझाव देता है। निजी कंपनियाँ स्थानीय लोगों को अपने कार्यबल के रूप में उपयोग करके व्यावसायिक रूप से उच्च मूल्य वाली स्वदेशी प्रजातियों की खेती करती हैं, स्थानीय समाजों या व्यक्तियों को अनुबंध खेती मोड पर कंपनियों के लिए खेती करने को प्रोत्साहित करती हैं। जिससे स्थानीय समुदाय, विशेषकर महिलाओं को अतिरिक्त आजीविका मिले। लक्षद्वीप प्रशासन मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत सरकार के किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और मुद्रा ऋण कार्यक्रम को लक्षद्वीप में सक्रिय रूप से लोकप्रिय बना रहा है। इससे समुद्री शैवाल उद्यम के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

समुद्री शैवाल हैचरी, बीज भंडार, समुद्री शैवाल स्वास्थ्य निगरानी सुविधाओं और समुद्री कृषि के लिए ऊष्मायन सुविधाओं की स्थापना के साथ-साथ समुद्री शैवाल के प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन से समुद्री शैवाल उद्यम के विकास में योगदान की उम्मीद है। इसलिए विभिन्न उपयोगिताओं की समुद्री शैवाल की नई प्रजातियों के लिए प्रोटोकॉल को मानकीकृत करने पर अनुसंधान जारी रखने की आवश्यकता है। भाकृअनुप-सीएमएफआरआई नीति आयोग के साथ-साथ मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार तथा केन्द्र शासित प्रदेश, लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा वैज्ञानिक जानकारी उत्पन्न करने, कौशल निर्माण करने, तकनीकी सहायता एवं सेवाएँ प्रदान करने और द्वीप क्षेत्र में टिकाऊ तथा समावेशी समुद्री शैवाल उद्यम विकास तथा नीतिगत योजना तैयार करने के लिए काम कर रहा है।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान, कोचीन)

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